आत्मनिर्भर भारत और युवा
भारतीय संस्कृति के परिपेक्ष में युवा का मतलब उम्र से नहीं सोच से होता है। युवा का मतलब हमारे अंदर के उमंग औेर उत्साह से होता है। अगर हमारे अंदर का यौवन जिंदा है तो हम चट्टानों में से रास्ता भी बना सकते है और आसमान में सुराग भी। अपनी इसी युवा सोच, गति, और प्रवाह को सही दिशा देते हुए आत्मनिर्भर भारत बनाना हर भारतीय का लक्ष्य होना चाहिए।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह समझा जा सकता है कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब है- भारत को जिस चीज़ की आवश्यकता हो वो खुद बना सकें। और भारत को इस तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरु किया गया है। जिसका उद्देश्य सिर्फ भारत को कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट से बाहर निकालना नहीं बल्कि भारत के लोगों को आत्मनिर्भर बनाना भी है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत ‘लोकल फाॅर वोकल‘ का मंत्र देते हुए मेक इन इंडिया, नए व्यवसाय को प्रेरित करना, उत्तम आधारिक संरचना, समर्थ और संकल्पित मानवाधिकार, बेहतर वित्तीय सेवा, कृषि प्रणाली जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्मनिर्भर अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जिसको मुकाम तक पहुंचाने के लिए भारत के युवा की अहम जिम्मेदारी है। अपनी प्रतिभा, सामर्थ को सही दिशा मे ले जाते हुए युवा का आगे आना जरूरी है।
आज युवा को स्वामी विवेकानन्द के पद्चिन्हों पर चलने की आवश्यकता है। स्वामी विवेकानन्द ने प्राचीन भारत से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय युुवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। विवेकानन्द का व्यक्तित्व आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हर युवा के लिए आदर्श बन सकता है।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवा को स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिए गए मूल मंत्रों पर अमल करना आवश्यक है। स्वामी विवेकानन्द ने सफलता प्राप्त करने के लिए कहा है- खुद पर विश्वास करो, ताकतवर बनो, खुद पर संयम रखे, स्वार्थी नही सेवक बनों, और अपनी आत्मशक्ति को पहचानो।
स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिए गए इन मंत्रों को अपने जीवन मे प्रयास करने से देश का युवा हमेेशा संयमित, उत्साहित, दृढ़ संकल्पित रहकर, देश को आत्मनिर्भर बना सकता है। आज हम आत्मनिर्भर भारत को युवा के जोड़कर देखते है ताकि भविष्य में भी भारत की नीव मजबूत बनी रहें और भारत फिर से विश्व गुरु बन सकें।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यह समझा जा सकता है कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब है- भारत को जिस चीज़ की आवश्यकता हो वो खुद बना सकें। और भारत को इस तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरु किया गया है। जिसका उद्देश्य सिर्फ भारत को कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट से बाहर निकालना नहीं बल्कि भारत के लोगों को आत्मनिर्भर बनाना भी है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत ‘लोकल फाॅर वोकल‘ का मंत्र देते हुए मेक इन इंडिया, नए व्यवसाय को प्रेरित करना, उत्तम आधारिक संरचना, समर्थ और संकल्पित मानवाधिकार, बेहतर वित्तीय सेवा, कृषि प्रणाली जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्मनिर्भर अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जिसको मुकाम तक पहुंचाने के लिए भारत के युवा की अहम जिम्मेदारी है। अपनी प्रतिभा, सामर्थ को सही दिशा मे ले जाते हुए युवा का आगे आना जरूरी है।
आज युवा को स्वामी विवेकानन्द के पद्चिन्हों पर चलने की आवश्यकता है। स्वामी विवेकानन्द ने प्राचीन भारत से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय युुवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। विवेकानन्द का व्यक्तित्व आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हर युवा के लिए आदर्श बन सकता है।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवा को स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिए गए मूल मंत्रों पर अमल करना आवश्यक है। स्वामी विवेकानन्द ने सफलता प्राप्त करने के लिए कहा है- खुद पर विश्वास करो, ताकतवर बनो, खुद पर संयम रखे, स्वार्थी नही सेवक बनों, और अपनी आत्मशक्ति को पहचानो।
स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिए गए इन मंत्रों को अपने जीवन मे प्रयास करने से देश का युवा हमेेशा संयमित, उत्साहित, दृढ़ संकल्पित रहकर, देश को आत्मनिर्भर बना सकता है। आज हम आत्मनिर्भर भारत को युवा के जोड़कर देखते है ताकि भविष्य में भी भारत की नीव मजबूत बनी रहें और भारत फिर से विश्व गुरु बन सकें।
विचार एवं सुझाव प्रगतिशील है।
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